Saturday 26 May 2012

एक बेहतर एनजीओ प्रशासन के लिए प्रभावी सूचना का अधिकार अधिनियम की जरूरत




गैर सरकारी संगठन द्वारा प्राप्त अनुदान का अनुचित वितरण, अवैध गतिविधियों का सामाजिक उत्थान के नाम पर प्रदर्शन का एक सबूत है। उच्च मानव सूचकांक के साथ सात भारतीय राज्यों (कुल जनसंख्या का 32.5% के साथ) ने कुल विदेशी निधियों का 61.81% प्राप्त किया। इसके विपरीत आठ नीचे के विकासशील राज्यों (जिसमें कुल जनसंख्या का 54.73%) ने कुल विदेशी दान का केवल 32.03% प्राप्त किया। यह साबित करता है कि केवल अमीर राज्य विकास के लिए सीधे विदेशी धन प्राप्त करने के लिए अधिक सक्षम हैं।

अनियमितताओं का यहाँ अंत नहीं है. मुट्ठीभर बड़े और सक्षम गैर सरकारी संगठन ( 33 लाख कुल संगठन की तुलना में) गांव, ब्लॉक या जिला स्तर पर काम कर रहे गैर सरकारी संगठन के लिए निधि उपलब्ध कराते है। जमीनी एनजीओ, सरकार या विदेशी एजेंसी से प्रत्यक्ष धन प्राप्त नहीं करते हैं। और सीधे किसी भी आरटीआई के माध्यम से जानकारी प्रदान करने के लिए बाध्य नहीं हैं. गैर सरकारी संगठनों द्वारा अपनाई गई यह तकनीक इस सूचना अधिकार अधिनियम से बचाव का एक रास्ता है। कई RTI कार्यकर्ता सांसद निधि में जो अधिकतम 5 करोड़ रुपये सालाना है, गहरी रुचि लेते हैं। तो हम क्यों रुचि नहीं रखते हैं उन गैर सरकारी संगठन पर नियंत्रण रखने में जो प्रति संसद क्षेत्र सालाना 19 करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च दिखाते हैं।

चिंता का विषय पिछले 10 वर्षों में पंजीकृत एनजीओ की संख्या में जबरदस्त वृद्धि है। 2006  में देश में पंजीकृत कंपनियों की कुल संख्या 732,169 थी जबकि अब देश में गैर - सरकारी संगठन 33 लाख से अधिक हैं। यदि समान रूप से वितरित करे तो हर गांव के हिस्से के 5 से अधिक गैर सरकारी संगठन उचित काम के माध्यम से हमारे समाज से चुनौतियों को खत्म कर देंगे।  हालांकि हम में से ज्यादातर सामाजिक कार्य की जमीनी वास्तविकताओं को जानते हैं।

अकेले दिल्ली में पंजीकृत 70,000 से अधिक गैर सरकारी संगठन (दिल्ली में पंजीकृत ट्रस्टों की संख्या शामिल नहीं है) है। आरटीआई अधिनियम के तहत सभी गैर सरकारी संगठन लाना मजबूत लोकतंत्र की जरूरत है। सामाजिक अंकेक्षण के लिए एक प्रभावी सूचना का अधिकार अधिनियम, गैर सरकारी संगठन के कल्याण गतिविधियों पर नजर रखने और सार्वजनिक धन के दुरुपयोग को नियंत्रित करेगा। योजना आयोग भी सभी गैर सरकारी संगठन के लिए सूचना का अधिकार प्रभावी बनाने का समर्थन कर रहा है। आने वाले दिनों में हम उसी के लिए मांग कर एक अधिक मजबूत आरटीआई अधिनियम का स्वागत करने की उम्मीद करते है।

(2011 भारत की जनगणना और अन्य सरकारी सूत्रों के अनुसार डाटा)                                                        By Lav Vashishtha for Aam Aadmi Movement.

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